अब साइन बोर्ड के नाम पर नये तरह के टैक्स की वसूली,सडको,चाैराहो दफ्तरो पर सजे है बीजेपी नेताओ के सजावटी बोर्ड, हर गली,हर मोड व सडको पर बीजेपी नेताओ के साइन बोर्ड, सबसे पहले बीजेपी के नेताओ से वसूली की हो शूरूआत

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बीदो पार्षदों को दिखाया बाहर का रास्ता… पहले भी बीजेपी से बाहर की जा चुकी सविता खत्री… आदेश गुप्ता पर 5 लाख रूपये मांगने का आरोप!

नगर निगम की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया है कि दुकानदार/व्यवसायी या संस्थान को अपने बोर्ड में केवल उस संगठन/व्यवसाय का नाम/पता और जो उत्पाद बेचा जा रहा है, केवल उसी उत्पाद का नाम लिखकर प्रदर्शित करने की अनुमति होगी। किसी अन्य उत्पाद या व्यवसाय का प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं होगी। सेल्फ साइनेज की दरें प्रति माह 100 रुपये प्रति वर्ग फुट से 450 रुपये प्रति वर्ग फुट तक तय की गई हैं। दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 की धारा 430 (2) के तहत विज्ञापन शुल्क की दरे निगम द्वारा स्व-साइनेज/सेल्फ-ब्रांडिंग के लिए निर्धारित की गई है।

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उत्तरी दिल्ली नगर के आयुक्त संजय गोयल ने कहा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने 2017 की आउटडोर विज्ञापन नीति (ओएपी) और राजस्व में वृद्धि के तहत दुकानों, व्यापारिक केंद्रों और मॉल्स के लिए नई स्व-साइनेज दरों को लागू करना शुरू कर दिया है। आवेदक निगम कार्यालयों में आए बिना अपने घर या किसी भी इंटरनेट केंद्र से अपनी सुविधा के अनुसार इस ऑनलाइन सेवा के लिए आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस ऑनलाइन एप्लिकेशन के जिरिये निगम को राजस्व प्राप्त होगा।
पार्षद होकर भी निगम संभालने में नाकाम बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष
दिल्ली के वरिष्ठ व्यापारी नेताओं का कहना है कि दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी दिल्ली के व्यापारियों के खिलाफ लिये जाने वाले सभी फैसलों में शामिल है। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष खुद निगम पार्षद हैं और महापौर भी रह चुके हैं। इसके बावजूद वह नगर निगमों की कार्यप्रणाली को सुधारने के बजाय दिल्ली के व्यापारियों पर टैक्स का भार डाले जा रहे हैं। बीजेपी का प्रदेश नेतृत्व निगमों को संभालने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है। एक ओर पार्टी दिल्ली वालों का हितैषी होने का दावा करती है और दूसरी ओर दिल्ली वालों पर टैक्स लगाने के नये-नये बहाने तलाशे जा रहे हैं।

दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के नेता दिल्ली वालों से 2017 के निगम चुनाव में किया गया वादा भूल गये हैं। तब पार्टी ने अपने 2017 के चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था कि यदि पार्टी निगम की सत्ता में आती है तो वह अगले 5 वर्षों तक दिल्ली वालों के ऊपर कोई भी नया शुल्क नहीं लगायेगी। इसके साथ ही किसी भी पुराने शुल्क में भी बढ़ोतरी नहीं की जायेगी। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता भी इसी वादे के साथ 2017 में निगम पार्षद का चुनाव लड़े थे। इसके बावजूद बीजेपी के शासन वाले तीनों नगर निगम दिल्ली वालों के ऊपर नये-नये टैक्स थोपने के बहाने ढूंढने में जुटे हैं।
कोरोना के चलते व्यापारियों की दोहरी मुसीबत
दिल्ली के व्यापारियों की मुश्किलें कोरोना के चलते पहले ही बढ़ी हुई हैं। अब चल रही अनलॉक की प्रक्रिया के दौरान बार-बार प्रशासन द्वारा बाजारों को बंद कराया जा रहा है। पुरानी दिल्ली का सदर बाजार हो, लाजपत नगर बाजार हो, जनपथ मार्केट हो या फिर किसी अन्य इलाके के बाजार हों, व्यापारियों को पहले ही मंदी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में बीजेपी शासित नगर निगम की कर वसूली की शुरूआत की वजह से राजधानी के व्यापारियों की मुश्किलें दोगुना बढ़ गई हैं।
व्यापार हितैषी फैसले नहीं ले रही बीजेपीः व्यापारी नेता
भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के वरिष्ठ नेता पवन कुमार, वरिष्ठ व्यापारी नेता एवं महामाई सेवा न्यास के मुखिया रमेश बजाज, फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेड्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश यादव, महामंत्री राजेंद्र शर्मा, मेन सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के महामंत्री कमल कुमार, फेस्टा के वाइस चेयरमैन परमजीत सिंह पम्मा, किराना कमेटी दिल्ली के पूर्व महामंत्री संजय भाटिया, भोरगढ़ इंडस्ट्रियल कॉम्पलेक्स वेलफेयर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष संजीव अरोड़ा, फायर वर्क्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय जैन, दिल्ली होटल एंड रेस्टोरेंट ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप खंडेलवाल, दिल्ली उद्योग व्यापार संगठन के अध्यक्ष कैलाश गुप्ता ने कहा कि कोरोना महामारी से जूझते दिल्ली के व्यापारियों के ऊपर करों का नया बोझ डाला जाना गलत है। नगर निगम ने व्यापारियों पर लागू कई तरह के लाइसेंसों की फीस में भारी बढ़ोतरी का ऐलान किया है।

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अब दुकानों, गोदामों, कार्यालयों के साइन बोर्ड से भी निगम टैक्स वसूलना चाहते हैं। यह गलत है। दिल्ली के व्यापारिक संस्थान पहले ही दो माह की बंदी के बाद खुले हैं। इसके बाद कोविड गाइडलाइंस का पालन नहीं होने की बात कहकर बाजारों को बंद करा दिया जाता है। व्यापारियों के ऊपर पहले ही बैंकों, कर्मचारियों, बिजली-पानी के बिलों, दुकानों-गोदामों-कार्यालयों के किराये और अपने परिवार के भरण-पोषण की मार पड़ रही है। ऐसे में दिल्ली के व्यापारियों, उद्यमियों और प्रोफेशनल्स पर अब साइन बोर्ड के नाम पर नये तरह के टैक्स की वसूली करना गलत है। व्यापारी नेताओं ने कहा कि बीजेपी को अपने वादे से मुकरना नहीं चाहिये। पार्टी ने 2017 के निगम चुनाव में वादा किया था कि वह अगले पांच वर्षों तक किसी भी शुल्क में बढ़ोतरी नहीं करेंगे और नाही कोई नया टैक्स लगायेंगे। लेकिन अब पहले से आर्थिक तंगी की मार झेल रहे व्यापारियों पर बीजेपी के शासन वाले नगर निगम नये-नये कर लगाकर उनका उत्पीड़न किया जा रहा है

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