
चुनावी संकल्प पत्र में कई लुभावने वाले दावे पत्रकारों को भी नहीं किया गया नजरअंदाज लेकिन बीजेपी पार्टी सीनियर वरिष्ठ नेताओं को नजरअंदाज करके खुद नए युवाओं को आगे लाने का काम कर रही है तो वही पत्रकारों के लिए मनोफेस्टो में की गई घोषणा में वरिष्ठ पत्रकारों को ही सुविधा देने की बात कही गई है ।
हम देश की सबसे बड़ी और मजबूत पार्टी से यह मांग करना चाहते हैं या अनुरोध कह सकते हैं अनुरोध करना चाहते हैं युवा पत्रकारों को अनदेखा ना करें । युवा पत्रकारों को अनदेखा किया गया तो उनका क्या होगा जो सुबह से शाम तक बीजेपी के पीछे पीछे कैमरा आईडी लेकर दौड़ कर उनकी कवरेज करते रहते हैं । उनको इस संकल्प पत्र में युवाओं को मेनिफेस्टो में कोई सुविधा देने की बात नहीं की गई है । बीजेपी दोनों ही बातें करती है अपनी पार्टी के अंदर युवाओं को आगे लाने का काम करती है तो वहीं मीडिया जगत में युवाओं को पीछे छोड़कर यानी की सीनियर सिटीजन पत्रकारों को सुविधा देने की बात कहती । जो पहले ही 60 सालों तक मलाई चाट चुके हैं । इस संबंध में बीजेपी ने कितने पत्रकारों से राय ली है यह तो हम नहीं जानते, लेकिन हम इतना जरूर कह सकते हैं कि जो युवा और नए पत्रकार सुबह से शाम तक काम करते हैं, उनका अनुभव ही पत्रकार होने का सबसे बड़ा सबूत है । जो की खबरें उनके नाम से प्रकाशित की जाती हैं । जो सबसे बड़ा सबूत है फिर भी उनको मान्यता प्राप्त डीआईपी, दिल्ली सरकार से मान्यता लेने यानी कि डीआईपी लेने के लिए सैकड़ों प्रकार की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है । उसके बाद भी उनको मान्यता नहीं मिल पाती है बीआईपी और दिल्ली सरकार के डीआईपी में बैठे उर्मिला जैसे ना जाने कितने ही नाम है । ये अधिकारी उनको न जाने कितनी ही प्रक्रिया करने का दबाव बनाते हैं और हर डॉक्यूमेंट में खामियां निकालते रहते हैं कई बार तो पेपर जमा होने के बाद भी फाइलों में पेपर और उसकी कटिंग नहीं चढ़ाई जाती है अगर कोई रिसीविंग ले ले तो ठीक है अन्यथा राम भरोसे ही सरकारी तंत्र रहता है । क्या बीजेपी सरकार जो आज सबसे बड़ी पार्टी है उसने अपने संकल्प पत्र में इस तरह की कोई सुविधा दी है या किसी , कोई सुविधा का जिक्र किया है कि युवाओं को उनके अनुभव के आधार पर मान्यता दी जाएगी क्योंकि युवा सुबह से शाम तक काम करने के बावजूद डीआईपी और पीआईबी लेने के लिए , जो कॉर्पोरेट जगत लोग जो बड़ी-बड़ी मीडिया हाउस को चला रहे हैं । उनसे अनुमति लेने के लिए रात दिन गिडगिडाते रहते हैं परंतु मीडिया हाउस जिसको चाहता है उसको मान्यता दिलाता है । यह मेहनत करने वाले युवा पत्रकार के लिए एक बड़ी बेइनसाफी कही जा सकती हैं ।
विश्व पत्रकार महासंघ ने अपने ज्ञापन में देश के पत्रकारों के साथ होने वाली बेइनसाफी और उनकी दुर्दशा का जिक्र भी किया था ।
मेहनत करने वाले पत्रकारों को उनके अनुभव उनके एक्सपीरियंस के आधार पर मान्यता देने का प्रावधान रखे मोदी सरकार ताकि पत्रकार बिरादरी के युवा पत्रकारों को उनका , सपना मान्यता प्राप्त पत्रकार होने का साकार हो सके ।
और उसको उसकी मेहनत का इनाम भी मिल सके media house भी यह लिखकर देता कि फला पत्रकार को मान्यता दो ।
तो हम बीजेपी सरकार से मोदी जी से यही कहना चाहते हैं कि युवा पत्रकारों को उनके अनुभव उनके एक्सपीरियंस उनके काम के व उनके नाम से छपने वाली खबरों को आधार बनाकर उसको देखते हुए और रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें मान्यता दी जाए देश के हो सारे पत्रकारों ने विश्व पत्रकार महासंघ से शिकायत की थी की मान्यता लेने के लिए मुख्य संपादक और मीडिया हाउस में बैठे लोगों से लेटर लिखा कर डीपीआर को देना पड़ता है जिसके आधार पर उन को मान्यता दी जाएगी हम यह कहना चाहते हैं कि मीडिया हाउस से जारी होने वाले लेटर को ना देखते हुए बल्कि पत्रकार के, उसी समाचार पत्र में पत्रकार के नाम से प्रकाशित होने वालेी खबरों को आधार बनाते हुए उसके नाम से प्रकाशित होने वाली खबरों को देखते हुए उसे मान्यता देनी चाहिए । यही सही मायने में युवा पत्रकार का हक और अधिकार है । हां उसमें अनुभव जरूरी होना चाहिए , क्योंकि उसका अनुभव , उसका रिकॉर्ड ही उसका सबूत और आधार है । इस के लिए मीडिया जगत आपका हमेशा आभारी रहेगा कि मोदी राज में सुविधा दी गई । मेनिफेस्टो यानि की संकल्प पत्र में पुराने पत्रकारों को ही सुविधा देने की बात कही गई है । वह तो पहले ही मलाई चाट चुके हैं ।