पदमप्रभ भगवान 76 वां प्रादुर्भाव दिवस, घरों पर दीप जलाकर, आरती कर मनाया महामहोत्सव — देशभर में 1 लाख से अधिक जैन श्रद्धालुओ ने घरों में जलाये दीप

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जयपुर। शहर के दक्षिण भाग स्थित टोंक रोड़ शिवदासपुरा के नजदीक जैन तीर्थ अतिशय क्षेत्र बाड़ा पदमपुरा के मूलनायक पदमप्रभ भगवान का 76 वां प्रादुर्भाव दिवस श्रद्धा-भक्ति के साथ मनाया गया। इस दौरान अध्यक्ष एडवोकेट सुधीर जैन एवं मानद मंत्री एडवोकेट हेमन्त सोगानी ने सकल दिगम्बर जैन समाज से अपील जारी कर घर में बैठकर ही पूजन, चालीस और आरती कर प्रादुर्भाव दिवस के उपलक्ष्य में घरों पर दीप जलाने का आह्वान किया था। जिसके बाद केवल जयपुर ही नही अपितु पूरे देशभर के जैन श्रद्धालुओ ने घरों में रुककर प्रातः मूलनायक पदमप्रभ भगवान का अंतर्ध्यान कर पूजन और चालीस का गुणगान किया। 
अखिल भारतीय दिगम्बर जैन युवा एकता संघ अध्यक्ष अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि अतिशय क्षेत्र बाड़ा पदमपुरा जैन तीर्थो में सवोच्च स्थान रखता इसी दिन 76 वर्ष पूर्व बैसाख शुक्ल पंचमी संवत 2001 को मुला जाट के खेत मे खेत जोतते समय मूलनायक पदमप्रभ भगवान की सातिशय प्रतिमाजी का प्रादुर्भाव हुआ था। तभी यह क्षेत्र जैन तीर्थ बन गया और पूरे विश्व मे विख्यात हो गया। 
मानद मंत्री एडवोकेट हेमंत सोगानी ने बताया कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मंगलवार को हीरक जयंती महामहोत्सव के एक वर्षीय आयोजन का समापन होना था किंतु पिछले कुछ माह से पूरा विश्व कोरोना महामारी की चपेट से झूझ रहा है। जिसे देखते हुए केंद्र और राज्य सरकार ने नागरिको की सुरक्षा को लेकर लॉकडाउन घोषित किया हुआ है। जिसकी पालना करते हुए पूर्व निर्धारित कार्यक्रम को निरस्त कर दिया था और सभी श्रद्धालुओ को घर मे रहकर ही पदमप्रभ भगवान की आराधना करने की अपील जारी की गई। मंगलवार को पूरे देश मे 1 लाख से अधिक जैन परिवारों ने घरों में दीप जलाकर छठे तीर्थंकर भगवान पदमप्रभ भगवान का पदमपुरा में प्रादुर्भाव दिवस श्रद्धा-भक्ति के साथ मनाया।
अध्यक्ष एडवोकेट सुधीर जैन ने कोरोना महामारी में सभी जैन श्रद्धालुओ से अपील जारी कर निवेदन किया है कि कोरोना महामारी से जारी जंग में केंद्र और राज्य सरकार का साथ देंवे और सभी एडवाइजरीयों को फोलो करे साथ ही घर मे रुककर ही सभी जरूरी काम निपटाए। साथ ही अपने आस-पास रहने वालों का भी ध्यान रखे। अगर कोई भूखा है तो उसे भोजन उपलब्ध करवाए यही सबसे बड़ा धर्म है मानव सेवा से बड़ा कोई धर्म नही है।

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