

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनपद श्रावस्ती के विकासखण्ड जमुनहा में सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना के अन्तर्गत बने राप्ती बैराज का निरीक्षण किया। इस अवसर पर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री डॉ0 महेन्द्र सिंह भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने निरीक्षण के उपरान्त मीडिया प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना को राष्ट्र को समर्पित करने के लिए 11 दिसम्बर, 2021 को जनपद बलरामपुर आएंगे। इसी के दृष्टिगत उन्होंने आज स्थलीय निरीक्षण किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरयू नहर की योजना वर्ष 1972 में बन गयी थी। वर्ष 1978 में इस पर व्यावहारिक कार्य प्रारम्भ हुआ, इसके बावजूद वर्ष 2017 तक इस परियोजना पर मात्र 52 प्रतिशत कार्य हो पाया था। वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री जी द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना लागू की गयी। राष्ट्रीय महत्व की सिंचाई परियोजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर समयबद्ध ढंग से पूर्ण करने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना बनायी गयी। सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना भी इसमें सम्मिलित थी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने विगत साढ़े चार वर्षों के दौरान सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना के शेष 48 प्रतिशत कार्य को पूरा किया। इसमें भूमि अधिग्रहण से लेकर बैराज बनाने, नहर बनाने सहित पूरी कार्ययोजना को मूर्तरूप दिया गया। उन्होंने कहा कि सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना की कुल लम्बाई 6,623 कि0मी0 है। प्रदेश के 09 जनपद इससे आच्छादित हैं। इसके माध्यम से 14.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल को सिंचाई की सुविधा मिलेगी। इससे 30 लाख किसान लाभान्वित होंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2022 तक अन्नदाता किसानों की आमदनी को दोगुना करने का संकल्प लिया था। किसानों की आमदनी को दोगुना करने के दृष्टिगत यह राष्ट्रीय परियोजना अत्यन्त महत्वपूर्ण है। लगभग 10,000 करोड़ रुपये लागत की यह परियोजना अब पूर्ण हो चुकी है। सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों को प्रधानमंत्री जी की एक बड़ी सौगात है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना देश के नदी जोड़ो अभियान का एक उत्कृष्ट उदाहरण भी है। इसके अन्तर्गत घाघरा नदी को सरयू नदी से, सरयू को राप्ती नदी से, राप्ती को बाणगंगा नदी से, बाणगंगा को रोहिन नदी के साथ जोड़कर पूरी नहर प्रणाली विकसित की गयी है। इसके माध्यम से किसानों के जीवन में व्यापक परिवर्तन होगा, उनकी आमदनी बढ़ेगी। बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होगा। आवागमन के साधन और सरल तथा सहज होंगे।