
10 अगस्त, ऋषिकेश। विश्व जैव ईधन दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि का दिन अक्षय ऊर्जा के बारे में चिंतन करने का है। यह दिन हमें सौर ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जल ऊर्जा, बायोमास ऊर्जा को बढ़ावा देने का संदेश देता है।
पृथ्वी पर असीमित मात्र में प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध हैं परन्तु उनका उपयोग हमें जरूरत के आधार पर करना होगा ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी उसका लाभ मिल सके। हमें प्रदूषण रहित और पर्यावरण हितैषी ईधन का उपयोग करना होगा। पारंपरिक जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों पर अत्यधिक ध्यान देना होगा ताकि जल, वायु व मृदा को प्रदूषण मुक्त रखा जा सके।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि बेहतर पर्यावरण के लिए जैव ईंधन को बढ़ावा देना होगा। जैव ईंधन के अनेक लाभ है, इससे वातावरण स्वच्छ होगा साथ ही इससे रोजगार का भी सृजन किया जा सकता है। जैव ईंधन से देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के भविष्य को संवारा जा सकता है। जैव ईंधन में वृद्धि तथा इसके उपयोग को बढाकऱ वैश्विक स्तर पर आय के स्रोतों का सृजन किया जा सकता है तथा समाज में व्याप्त गरीबी को कम करने के लिये जैव ईंधन एक अमूल्य वरदान है।
स्वामी जी ने कहा कि हम अपने कचरे से भी ईंधन बना सकते है। भारत में हर वर्ष नगरपालिकाओं से 62 एमएमटी ठोस कचरा निकलता है। इस कचरा और प्लास्टिक को भी ईंधन में परिवर्तित कर हम अपने राष्ट्र और अपनी धरती को स्वच्छ और प्रदूषणमुक्त रख सकते है।
स्वामी जी ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है हमारे यहां कृषिसंबंधी अवशिष्ट भी अत्यधिक मात्रा में निकलता है इस कृषि अवशिष्ट के कचरे को इथेनॉल में बदला जा सकता है और यदि इसके लिये बेहतर प्रणालियाँ विकसित की जाये तो कचरे का बेहतर मूल्य मिल सकता है और कचरे को कंचन में बदला जा सकता है। कृषि कचरे को हम कई बार अन्यथा ही जला देते हैं इससे वायु प्रदूषण में वृद्धि तो होती ही है साथ ही, श्वसन संबंधी परेशानियां भी हो सकती है।
स्वामी जी ने कहा कि युवाओं को प्लास्टिक प्रदूषण से होने वाले नुकसान के बारे में शिक्षा, स्कूल और कालेजों के माध्यम से जागरूक करना अत्यंत आवश्यक है। एकल उपयोग वाली प्लास्टिक, बहु-परत पैकेजिंग, ब्रेड बैग, फूड रैप और सुरक्षात्मक पैकेजिंग आदि को भी कम किया जाना चाहिये ताकि बढ़ते प्रदूषण को कम किया सके। आईये संकल्प लें कि सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे।